ये सिर्फ कविता नहीं, ये मेरा लोगों के साथ का यथार्थ में अनुभव है। हमारे समाज का कटु सत्य है। अच्छे पढ़े लिखे लोगों में छुपि ये पुरानी सोच जिसके अन्याय के अस्तित्व से वो खुद भी अवगत नहीं हैं। ऐसी हस्तियों के यहाँ लड़कियों को नवरात्री पर पूजा तो जाता है मगर अपने घर में एक से ज़्यादा लड़की के पैदा होने पे मन ही मन में रोया जाता है।